झूठी तारीफ की तो, कमजोर पड़ जाऊंगा मुझे चाहने वाले, इसारा जरुरी है ।
"और वो इसारा पिता करता है ।"
सादे कागज पर अपने अनुभव का सागर उड़ेल कर , छिपी खामोश नसीहतें , हिदायतें दे कर बच्चों को मंजिल तक पहुंचाने का मार्ग , पिता बनता है ।
बच्चे को कंधे पर बिठा कर , दुनियां दिखने का प्रयास करता है । अपने बच्चों के लिए पिता, उस सूरज की तरह है, जो हर अंधकार को दूर कर , अपनी तपिस के प्रभाव से भी बच्चों का भला चाहता है ।
Lokesh Rusia is simple man who lives life each day, loves his simple life, admires it and still mixing vibrant colors of love, joy, liberty, nature and even reality, bravery, standing for cause etc, through his poems.
Facebook Comments