वह महायुध्द का कारक है,और शांति रूप स्मारक है। वह नए जीव को जनती है,और नव चंडी भी बनती है। वह माँ रूप में जगदम्बा है,और पत्नी रूप में रम्भा है। मेरी नजरो में मित्रो मेरे,नारी एक पहेली है। जीवन के हर धर्म युध्द में,उतरी वही अकेली है।
नारी मोह
नारी मोह के कारण ही तो, ताज धरा पर आया है, देख कर इसकी सुंदरता, खुद चन्दा भी शर्माया है ।
नारी मोह के कारण ही तो, रावण कुल का अंत हुआ, नारी मोह के कारण ही , तुलसी यारो संत हुआ ।
नारी मोह के कारण ही तो, मजनू का मौत से संग हुआ, नारी मोह के कारण ही, तप विश्वामित्र का भंग हुआ।
नारी भय
नारी भय के कारण ही, गोर थर थर कपते थे। सुनकर नाम मनु का केवल येशु येशु जपते थे।
नारी भय के कारण ही, बीहड़ तक वर्षो सिसका है फूलन के डाकू बनने में , दोष बताओ किसका है।
नारी सच्चाई
जीवन की इस कठिन डगर में, गर नारी का संग नही। यूँ लगता है जैसे कि, होली उत्सव में रंग नहीं ॥
सच्चाई है ये कोई व्यंग नहीं।
मर्दो के पैर की जूती से , अब तुलना उसको पसंद नहीं । नारी तो एक महाकाव्य , कोई दोहा ,कोई छन्द नहीं ॥
सच्चाई है ये कोई व्यंग नहीं।
उसकी कमी के कारण ही तो व्याकुल मन में उमंग नहीं। बिन नारी लगता है जैसे, शिव मंदिर में भांग नहीं॥
Vikram is a teacher by his profession who gave right direction for future to thousands of student. Vikram wrote poems in his college days. His poems are from his young experiences.
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