नये नहीं हो पाते हम ये, नया वर्ष आजाता है|
तन-मन वहीँ पुराने कल में, गीत पुराने गाता है|
प्रकृति बदलती जब वसन्त में, पहले पतझड़ हो जाता है,
नये - नये कोमल पत्तों से,नयी उमंगें लाता है|
हम भी अपनी धुल चुमन को, १९ में ही छोड़ चलें,
खोल चलें मन की गाठों को, उलझन मन की छोड़ चलें||
चलें छोड़कर बीते कल के, कलह, कलेश द्वेष पनपे जो,
खरपतवार सरीखे हैं जो, मन के जल को पीते हैं|
नए वर्ष के स्वागत में हम, सरल सबल मन को कर लें,
नयी उमंगों के स्वागत में, नयी तरंगों को भर लें|
उड़ने को तैयार रहे मन, पंख खोलना उड़ने के,
पल - पल महक उठे जीवन, देना तुम संगीत २०२०|
स्वागत है सन २०२०||
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