मै कोरा अभिनंदन पत्र हो गया,
हादसा विचित्र हो गया|
लिखा मेरे सीने पर, लेखनी ने स्याही से ,
पर बाचक प्रशिद्ध, जन प्रिय मित्र हो गया है|
ताड़ बना तिल को ,अतिरंजित गुण गान किये,
पशीना, श्रीमान का इत्र हो गया|
उठाये बोझ वर्षों से कील तो उपेझित हुई
प्रसिद्धि का सुपात्र बस चित्र हो गया|
"चोबे" गीत गैरों के, गाये अपने नाम से,
मिथ्या यश, मन चंदन, पवित्र हो गया|
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